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कविता

दूसरे शहर में

केदारनाथ सिंह


यही हुआ था पिछ्ली बार
यही होगा अगली बार भी
हम फिर मिलेंगे
किसी दूसरे शहर में
और ताकते रह जाएँगे
एक-दूसरे का मुँह

 


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हिंदी समय में केदारनाथ सिंह की रचनाएँ