यही हुआ था पिछ्ली बार यही होगा अगली बार भी हम फिर मिलेंगे किसी दूसरे शहर में और ताकते रह जाएँगे एक-दूसरे का मुँह
हिंदी समय में केदारनाथ सिंह की रचनाएँ